इतिहास

वस्‍त्र समिति, भारतीय संसद के वस्‍त्र समिति अधिनियम, 1963 (1963 का 41), के तहत स्थापित की गई है। यह सूती वस्‍त्र कोष अध्यादेश के अधीन गठित तत्कालीन सूती वस्‍त्र कोष समिति की जगह प्रतिस्‍थापित है, जो भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 72 द्वारा प्रख्यापित है । इस अध्‍यादेश में निर्यात किए जाने वाले कपड़े और धागे की पूर्व मिल कीमतों पर तीन प्रतिशत उपकर लगाकर सूती वस्‍त्र कोष और फंड देखभाल के लिए सूती वस्‍त्र कोष समिति स्‍थापित करने की व्‍यवस्‍था है ।  फंड का उपयोग कपड़े और धागे  की निर्यात पर निगरानी रखते हुए  विदेश में कपड़े और धागे  की निर्यात बढाने और आम तौर पर  सूती वस्‍त्र उद्योग से संबंधित तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाना था।

सूती वस्त्र कोष समिति की उपलब्धियों के अलावा, अपने गठन के बाद से यहॉं यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि  इस समिति ने  विभिन्न टेक्सटाइल रिसर्च संघों जैसे एटीआईआरए (ATIRA), एसआईटीआरए (SITRA), बीटीआरए (BTRA), एनआईटीआरए (NITRA) और सूती वस्‍त्र निर्यात संवर्धन परिषद (टेक्‍सप्रोसिल) के गठन के लिए पर्याप्त सहायता की थी । पहली बार के लिए, विशेष रूप से निर्यात के लिए सूती वस्‍त्र के निरीक्षण के लिए एक योजना तैयार की गई थी और इसे ऑपरेशन में रखा गया था । 

सूती वस्त्र कोष समिति के कार्य को आगे बढ़ाने में कपड़े और धागे  के निर्यात के लिए वर्ष 1954  में स्वैच्छिक आधार पर निर्यात  के लिए बने सूती वस्त्रों के निरीक्षण के लिए एक योजना शुरू की गई थी । जो आईटीईएक्‍स (ITEX) के नाम से लोकप्रिय थी  एक साल बाद आईटीईएक्‍स निरीक्षण योजना के आधार पर तथ्यात्मक रूप से प्रत्येक मामले में निरीक्षण सामग्री की गुणवत्ता में पता करने के लिए तथ्यात्मक निरीक्षण योजना भी बनायी गई थी । 

वस्‍त्र समिति अधिनियम, 1963 के लागू होने के साथ सूती वस्‍त्र फंड अध्यादेश बदल दिया गया था और  वस्‍त्र तथा  वस्त्र मशीनरी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए और इससे संबंधित मामलों के लिए एक सांविधिक निकाय के रूप में वस्‍त्र समिति को स्थापित किया गया था। वस्‍त्र समिति के कार्य देशांतर्गत बाजार  और निर्यात दोनों के लिए वस्‍त्रों की मानक गुणवत्‍ता, विनिर्माण और वस्‍त्र मशीनरी की मानक गुणवत्‍ता का उपयोग करना है जो ऐसे उपायों से सुनिश्चित किए जाते हैं, जिन्‍हें वह उचित समझती है । । जैसे वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक अनुसंधान, निर्यात संवर्धन, निरीक्षण, परीक्षण, प्रयोगशालाओं और परीक्षण गृहों की स्‍थापना, बाजार अध्ययन और अनुसंधान के लिए आँकड़ों का संग्रह, वस्‍त्र उद्योग के विकास और वस्‍त्र मशीनरी के उत्पादन से संबंधित मामलों के लिए समिति के व्‍यापक कार्य और गतिविधियॉं हैं । 

समिति में भारत सरकार द्वारा नामित एक अध्‍यक्ष,  एक वस्‍त्र आयुक्‍त जो पदेन उपाध्यक्ष है और 21 अन्य सदस्य जिनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी  और वस्त्र उद्योग और व्यापार से प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं। समिति के सदस्य सचिव संगठन के मुख्य कार्यकारी है। समिति का मुख्यालय मुंबई में है और इसके देश के सभी महत्वपूर्ण वस्त्र उत्पादन और निर्यात केन्द्रों पर 29 क्षेत्रीय कार्यालय हैं ।

भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद,  समिति की भूमिका नियामक से वस्‍त्र व्यापार और उद्योग के लिए सुविधाप्रदाता के रुप में बदल गई है । अनिवार्य निरीक्षण हट गया था । नए आयाम की खोज में, समिति, गुणवत्ता निरीक्षण, वाणिज्यिक परीक्षण, कुल गुणवत्ता प्रबंधन (टीक्यूएम) परामर्श, क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) आदि  जैसे विविध क्षेत्रों  में तब्‍दील हुई है। वर्तमान में समिति के निर्यात संवर्धन और गुणवत्ता आश्वासन विभाग (ईपी और क्यूए), प्रयोगशालाऍं, बाजार अनुसंधान,  कुल गुणवत्‍ता प्रबंधन(टीक्यूएम), सीडीपी अनुभाग, एकीकृत कौशल विकास योजना (आईएसडीएस) विभाग हैं।

एक सुविधाप्रदाता के रूप मे  समिति वस्‍त्र व्यापार, उद्योग और राज्य सरकारों सहित अन्य हितधारकों के लिए सेवाएं प्रदान करती हैं। यह देश में एकमात्र ऐसा संगठन है जो वस्‍त्र वस्‍तुओ का एचएस वर्गीकरण, जिनिंग और प्रेसिंग कारखानों का स्‍टार श्रेणीकरण और  हैंडलूम मार्क योजना के माध्यम से हाथ से बुने हुए उत्पादों को बढ़ावा देने का कार्य करता है । समिति का ईपी और क्यूए विभाग देश में भारत की पहली आईएसओ 17020 मान्यता प्राप्त तीसरे पक्ष की निरीक्षण संस्‍था  है। वस्‍त्र समिति को हाल ही में भारतीय जिनिंग मिलों के लिए जिनिंग और प्रेसिंग  के स्‍टार श्रेणीकरण योजना के अंतर्गत गुणवत्‍ता प्रमाणन कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए और भारतीय कपास के लिए स्वच्छ कपास छवि निर्माण में सहायता के लिए वैश्विक कपास सम्मेलन में "उत्कृष्टता पुरस्कार” प्राप्‍त हुआ है । प्रबंधन प्रणालियों में गुणवत्ता मानकों को लाने के हिस्से के रूप में, समिति देश में वस्‍त्र उद्योग के लिए कुल गुणवत्ता प्रबंधन परामर्श सेवाऍं प्रदान करती हैं ।  अब तक 500 से अधिक वस्‍त्र इकाइयों को सेवाएं प्रदान की जा चुकी हैं ।   

"राष्ट्रीय गृहपरिवार सर्वेक्षण: वस्त्र और परिधान  (एमटीसी) के लिए बाजार", यह वस्‍त्र समिति द्वारा आयोजित देश में अपनी तरह का अनूठा अध्ययन है। वस्‍त्र समिति ने हाल ही में भौगोलिक उपदर्शन अधिनियम के कानून के तहत हितधारकों की सुविधा के लिए कुछ अद्वितीय वस्त्रों के पंजीकरण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) की संरक्षण गतिविधियों प्रारभ की गई है। हाल ही में वस्‍त्र समिति ने भूमंडलीकरण और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), नॉन-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) अंतरराष्ट्रीय बाजार में, उत्पाद स्तर प्रतिस्पर्धा विश्लेषण, व्यापार संबंधित क्षमता निर्माण (टीआरसीबी), ब्रांड संवर्धन के लिए जीआई पश्‍चात  पहल और उल्लंघन की रोकथाम से संबंधित मुद्दों पर अनुसंधान कार्य हाथ में लिया गया है ।

वस्‍त्र समिति अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों और परीक्षण पद्धतियों  के विकास के अलावा 9 ईको  प्रयोगशालाओं सहित अपनी 17 प्रयोगशालाओं के माध्यम से व्यापार और उद्योग को विनियामक और गैरविनियामक  परीक्षण सेवाऍं प्रदान करती है ।  वस्‍त्र समिति ने परीक्षण मानकों के निर्माण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो(बीआईएस)  की विभिन्‍न समितियों में  सक्रिय रूप से भाग लिया है । । नई प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ, वस्‍त्र समिति ने अपने मूल्यवान ग्राहकों को प्रयोगशाला सूचना प्रबंधन प्रणाली (LIMS) की सेवाऍ लागू की  और  बढ़ायी। LIMS प्रयोगशाला में सुव्यवस्थित कार्यप्रवाह, स्वचालन और प्रबंधन प्रदान करने के लिए कंप्यूटर आधारित समाधान  है। वस्‍त्र समिति की 14 प्रयोगशालाऍं  एनएबीएल द्वारा आईएसओ 17025 के साथ मान्यता प्राप्त है और इसके मूल्यवान परामर्श का विस्तार हितधारकों के लिए परीक्षण गृह स्थापित करने के लिए किया जाता है । 

वस्‍त्र क्षेत्र में शुरू की गई एकीकृत कौशल विकास योजना (आईएसडीएस) और क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) समिति  की  अन्य महत्वपूर्ण सेवाऍं हैं। क्लस्टर गतिविधियों के माध्यम से हासिल वृद्धि और विकास ने  देश में एक मॉडल की स्थापना की है।  व्यापार और उद्योग के लिए 50 वर्षों से समिति अपनी  सेवाऍं देती रही हैं और इसके स्‍मरणार्थ समिति ने 2013 में  स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया है। समिति आश्‍वासन देती है कि आने वाले वर्षों में भी व्यापार और उद्योग के लिए इसी प्रकार सेवाऍं दी जाती रहेगी ।